Friday, May 1, 2020

तानाशाही

यह कैसा कोहरा है, क्यूँ  धुआं सा छाया है?
क्या यह देश प्रेम है, या अंधी भक्ति का साया है?

सत्ता के खिलाफ होना, क्या देश द्रोही हो जाना है?
पर कब सत्ता की ग़ुलामी करना, आज़ादी कहलाया है?

राज्य और राष्ट्र का फर्क़ क्या इतना कठिन है?
की राज्य की लड़ाई ने, राष्ट्रीयता को भुलाया है?

देश कहां पहले भी उन्नति की ओर अग्रसर था,
पर आज राजा की भक्ति कर, उसे घुटने पर ले आया है |

विरोध मुक्त राजनीति, कब जनतंत्र का हिस्सा थी,
चुनाव मे जीते राजाओं को, बस तानाशाह बनाया है |

-अभिनव शर्मा "दीप"

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