Friday, May 8, 2020

आज चांद आसमाँ से लापता हो गया

आज चांद, आसमाँ से लापता हो गया,
लगा जैसे आसमाँ भी अकेला हो गया |
खोए रहते थे सितारे, पहले भी गगन मे,
पर आज उनका खोना भी बेवजह हो गया,
क्योंकि आज चांद आसमाँ से लापता हो गया |

काले से आसमाँ मे छा जाते थे,
फैल कर कभी, चांद को भी छुपा जाते थे,
पर बादलों का बहना भी अनदेखा हो गया,
जब आज चांद आसमाँ से लापता हो गया |

रात के अंधेरे भी कुछ अजीब से लगने लगे,
जैसे अकेले मे, कुछ राज़ यह कहने लगे,
पर इनका कहना भी अनसुना सा हो गया,
जब आज चांद आसमाँ से लापता हो गया |

सागर की उछाले भी कम हो गई,
ऐसे जैसे लहरें ही खत्म हो गई,
हवाओं का बहना भी बंद सा हो गया,
जब आज चांद आसमाँ से लापता हो गया |

आ जाए शायद फिर कल चांदनी बरसाने,
अधूरी रह गई जो बातें, दोबारा सुनाने,
पर आज उसके ना होने को ज़माना हो गया,
उसके बिना जीना भी एक अफ़साना हो गया,
क्यूंकि आज चांद, आसमाँ से लापता हो गया |

-अभिनव शर्मा "दीप"

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