Opus
आग सी जलती हों यादें जब ज़हन में, राख सी तब ज़िंदगी हो जाती है |
Wednesday, August 22, 2018
ख़ुदा?
कैसा
ख़ुदा
है
,
जो
जुदा
है
,
या
गुमशुदा
है
,
फ़क़ीर
बने
फिरती
हैं
उसकी
औलादें
,
और
वो
बदनसीब
,
सजदों
पे
फ़िदा
हैं।
किसे
दिखा
है
,
सुना
है
,
या
किसे
मिला
है
,
अधेरों
में
अंधे
उसे
खोजते
हैं
,
और
वो
बेरुख
,
ख़यालों
में
छिपा
है।
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