Wednesday, August 15, 2018

असली स्वतंत्रता

शहीदों की क़ुरबानी का ये कैसा परिणाम है,
कि ७२ साल बाद भी, आज़ादी एक अपमान है।
हर रोज़ कत्लेआम, हर एक घर शमशान है,
मर गया है इंसान, यह कैसा हिंदुस्तान है।

रोज़ होते हैं बलात्कार, रोज़ एक नारी नीलाम है,
धर्म के नाम पे लड़ना, मरना मारना अब आम है।
पुलिस है नाकाम, और इंसाफ़ पूर्णविराम है,
बिक गया है ईमान, यह कैसा हिंदुस्तान है।

भ्रष्ट है हर नेता, और हर सरकार बैमान है,
अश्लील है राजनीति, व्यर्थ यह संविधान है।
काली हर शाम, और काला आसमान है,
सो रहा है आवाम, यह कैसा हिंदुस्तान है।

याचिका नहीं यह, आज़ादी का फ़रमान है,
मुक्ति इस अनैतिकता से, बस, यही अरमान है।
जागे वो आवाम, जो इस देश का अभिमान है,
करे देश पुनर्निर्माण, जो नाया हिंदुस्तान है।

मुक्त कर अभिशापों से, जो यह काला वर्तमान है,
पराजित कर भ्रष्ट को, और जो अज्ञान है।
मिल कर लड़ साथ, तू भगवान की संतान है,
तू ही है पैग़म्बर, और तू ही हनुमान है।
बदलेगा यह देश, यही तेरा वरदान है,
होगा वो प्रमाण तेरा, जो स्वतंत्र हिंदुस्तान है।

-अभिनव शर्मादीप



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