Monday, March 23, 2020

भगत सिंह

कलमों की स्याही सूख जाएगी,
पर उनकी स्तुति लिख नहीं पाएगी |
तेईस की उम्र में जो पा गए शहादत,
उनकी गाथा ये कैसे सुनाएगी?

एक ही जुनून को बचपन से पाला था,
आज़ादी पाने का वो ऐसा मतवाला था,
कि बंदूक को खेत में गाड़, पिता से पूछे,
और बंदूकें कब तक उग पाएगी,
ऐसे बच्चे की कहानी ये कैसे सुनाएगी?

जलियांवाले की मिट्टी को साथ रख के,
ताकि उनकी चीखें कभी भुला ना सके,
9 साल बाद भी बदला लेने की अभिलाषा की,
कहानी कोई स्याही कैसे रंग पाएगी,
ऐसे वीर की कहानी ये कैसे सुनाएगी?

बेहरों को सुन सके ऐसा धमाका करा के,
अपने इरादे पूरी दुनिया को बता के,
खोखले न्यायालय को विश्वा को दिखाया,
ऐसे इंसाफ का सच सामने क्या ला पाएगी?
ऐसे शब्दों का बोझ एक कलम कैसे उठाएगी?

क़ैद में भी अनशन, आंदोलन चला कर के ,
खाना, कपड़े, अखबार, सब ला कर के,
अंग्रेजों की कैद में रह कर, उन पर हुकुम चलाया,
इस बात की गहराई को क्या बयान कर पाएगी?
कलम ये कहानी कागज़ पर कैसे लाएगी?

बन कानूनी गवाह, जब अपनों ने धोखा दिया,
मिली वज़ह हुकूमत को, और दोषी करार किया,
सुना कर फांसी सोचा, अब तो बला टल जाएगी,
उन्हें क्या पता था कि उनकी मौत भी संग्राम लाएगी,
देश के उबाल की गर्मी को कलम कैसे सुनाएगी?

तेईस मार्च को तेईस की उम्र में, दिया वो बलिदान,
शहीद हुए आज़ादी के लिए, जैसे यही था अरमान,
लगा इंकलाब के नारे, रंग दिया बसंती देश,
भगत सिंह की कहानी लिख पाएगी क्या?
शहीदों की ये रवानी कलम सुनाएगी क्या?

-Abhinava Sharma "Deep"

1 comment:

Anonymous said...

Beautifully crafted , master piece .