उफ़ तुम्हारा शर्माना,
नज़रे हटा कर पलकें झपकाना,
हथेलियों से चेहरा छुपाना,
सर झुका कर छुप जाना,
उफ़ तुम्हारा शर्माना |
बातें कहते-कहते रुक जाना,
और फिर बातें ही भूल जाना,
कहीं, पूछ लू अगर,
तो बस, सिर्फ, मुस्कराना,
उफ़ तुम्हारा शर्माना |
कभी ज़ुल्फ़ो से चेहरा छुपाना,
कभी नज़रे हटा कर मुस्कराना,
कभी यूं पलट कर चले जाना,
कि जाते जाते-
मेरी दुनिया भी ले जाना,
उफ़ तुम्हारा शर्माना |
कभी मुस्करा कर यूं देखना,
और नज़रो से बताना,
कि कैसे हर लम्हे मे समा कर,
बनता है लम्हों का फ़साना,
उफ़ तुम्हारा शर्माना |
- अभिनव शर्मा "दीप"
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