Wednesday, February 14, 2024

उफ़ तुम्हारा शर्मा

 उफ़ तुम्हारा शर्माना, 

नज़रे हटा कर पलकें झपकाना, 

हथेलियों से चेहरा छुपाना, 

सर झुका कर छुप जाना, 

उफ़ तुम्हारा शर्माना |


बातें कहते-कहते रुक जाना,

और फिर बातें ही भूल जाना,

कहीं, पूछ लू अगर,

तो बस, सिर्फ, मुस्कराना, 

उफ़ तुम्हारा शर्माना |


कभी ज़ुल्फ़ो से चेहरा छुपाना, 

कभी नज़रे हटा कर मुस्कराना,

कभी यूं पलट कर चले जाना, 

कि जाते जाते-

मेरी दुनिया भी ले जाना,

उफ़ तुम्हारा शर्माना |


कभी मुस्करा कर यूं देखना,

और नज़रो से बताना,

कि कैसे हर लम्हे मे समा कर,

बनता है लम्हों का फ़साना,

उफ़ तुम्हारा शर्माना |


- अभिनव शर्मा "दीप"

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