अब जंग होनी चाहिए
कितनी मौतों का बोझ
हम और उठाएंगे,
कितनी माँओं की सिसकियों का
कारण बनते जाएंगे |
अब तो उन कातिलों की ज़िंदगी भी,
थोड़ी बेरंग होनी चाहिए,
अब जंग होनी चाहिए |
दुनिया में हम खुद का,
मज़ाक बनाते जाते हैं,
कोई भी छेड़ कर चल देता है,
हम बस निंदा कर पाते हैं |
दुनिया में अपनी भी पहचान,
कुछ दबंग होनी चाहिए,
अब जंग होनी चाहिए |
अब तो दुश्मनों को,
मुँह-तोड़ जवाब देना होगा,
अपने सपूतों का बदला,
कभी ना कभी तो लेना होगा |
अब तो उनकी भी रातों की नींद,
भंग होनी चाहिए,
अब जंग होनी चाहिए |
मायूसी है छाई,
हताश हो रहे हैं सब,
कि परशुराम का फारसा,
अब उठेगा कब?
आने वाले कल की भी तो,
कुछ उमंग होनी चाहिए,
अब जंग होनी चाहिए |
- अभिनव शर्मा "दीप"
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