Saturday, November 2, 2024

यह कविता एक व्यक्ति के जीवन को एक बहते हुए दरिया के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसमें उसके अनुभवों, संघर्षों और यात्राओं का समावेश है। दरिया का प्रवाह उन पहाड़ों, जंगलों और खेतों से होकर गुजरता है, जिन्होंने उसके अस्तित्व और व्यक्तित्व को आकार दिया है। तूफान उन बाहरी ताकतों या लोगों का प्रतीक है, जो उस व्यक्ति के स्वाभाविक प्रवाह को बदलना चाहते हैं।

दरिया के रुख को बदलने का मतलब केवल उसके प्रवाह को ही नहीं, बल्कि उन सभी तत्वों को भी बदलना है, जिन्होंने उसे वह बनाया है जो वह है।



बहते दरिया का रुख बदलना चाहते हो, 

तुम तूफान हो? क्या सब कुछ बदलना चाहते हो?

पहाड़ों को छील कर, जंगलों की झील तर, 

पहाड़ों, जंगलों का अस्तित्व बदलना चाहते हो? 

बहते दरिया का व्यक्तित्व बदलना चाहते हो?

खेतों को सींच कर, नहरों को भींच कर, 

खेतों, नहरों का, अतीत बदलना चाहते हो

इस दरिया का प्रतीत बदलना चाहते हो?

गाँवों का बल देख, शहरों का छल देख, 

गाँव, शहरों का, स्वभाव बदलना चाहते हो? 

इस दरिया का प्रवाह बदलना चाहते हो? 

समुंद में समा कर, सागर को अपना कर, 

सागर, समुंदर की रीत बदलना चाहते हो? 

तुम इस दरिया की प्रीत बदलना चाहते हो? 

तुम तूफान हो? क्या सब कुछ बदलना चाहते हो?

बहते दरिया का रुख बदलना चाहते हो? 


-अभिनव शर्मा "दीप"