Saturday, March 20, 2021

आशियां

अरे आप कहां रुक गए, 
चलते रहिए, 
आने वाले समय में
अपने आशियां बनाइए |
हमें अभी अपनी दरारें 
कुछ और भरनी है,
बिखरे हुए कल की 
कुछ यादें इकट्ठा करनी हैं |
आखिर यादें ही तो हैं 
जो साथ आयेंगी, 
कल हम जिए भी थे, 
यह ही तो बताएंगी |

कहाँ सोच मे पड़ गए, 
सब ठीक ही तो है,
कल करी जो गलतियाँ, 
सब सीख ही तो है |
इनसे सीख कर ही तो, 
आगे चलते जाएंगे,
आगे शायद एक आशियाँ 
और बनाएंगे |
टूट भी गए अगर 
तो क्या ग़म है, 
जिएंगे फिर से, 
क्यूंकि हमसे ही तो हम हैं |

कहाँ अफसोस जताने लग गए, 
अभी बहुत दूर जाना बाकी है, 
मुश्क़िल ही सही, 
यह सफर अभी निभाना बाकी है, 
कि कब मुश्किलें देख 
हम रुक गए थे, 
कब कभी हम, 
लड़ने से पहले झुक गए थे |
पर आप मत रुकिए, 
हम पहुंच जाएंगे,
रास्ता भटक भी गए अगर, 
पर मंज़िल ज़रूर पाएंगे, 
एक शायद आशियां, 
और बनाएंगे |

- अभिनव शर्मा "दीप"